Episode 1 ( नथिंग लास्ट फॉरएवर )
माया ने ये मान लिया था की चोट न केवल गहरे हिस्से पर बल्कि अपनी आत्मा पर भी गहरा असर छोड़ जाती है | चाहे वो गुस्सा हो , किसी से नफरत हो , उदासी हो , ख़ुशी हो या प्यार | इन में से कोई भी इमोशंस हमे हमेशा के लिए एफेक्ट नहीं कर सकते है | हर इमोशन टाइम के साथ ,,, चला जाता है |
ओर क्यूंकि कुछ भी हमेशा के लिए नहीं रहता है , तो उसने अपनी ज़िन्दगी में ये ठान लिया ... की वो बिना इन फीलिंग के भी लाइफ में खुश रह सकती है | क्यूंकि जब तक वो कुछ भी फील नहीं करेगी , ये इमोशंस उसे कभी भी परेशान नहीं कर सकते है | ह्यूमन इमोशंस माया के लिए शुरू से ही बहुत कॉम्प्लीकेट से रहे है |
उसने लोगों को प्रेम, ईर्ष्या, घृणा के नाम पर एक दूसरे को बर्बाद करते देखा था, उसने लोगों को गुस्से में दुनिया में गूम होते देखा था | हलाकी उसे कभी भी कुछ ज्यादा समझ नहीं आया , पर फिर भी उसके थोट , उसके विचार इस एकमात्र उद्देश्य पर तुले हुए थे कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो हमेशा के लिए रहेगा | क्योंकि उनकी राय में भावनाएँ ही व्यक्ति को आवेगी बनाती हैं और फिर लोग अपनी भावनाओं के गुलाम बन जाते हैं |
हालाँकि यह सरल तर्क कुछ ऐसा था जो वह अपने दादा जी को नहीं समझा सकती थी | जबकि उसके दादाजी का दृढ़ विश्वास था , कि भावनाओं की कमी , उसे जीवन का पूरा आनंद लेने से रोक रही थी | पर माया सहमत नहीं थी , उन बातों पर विश्वास नहीं करती थी... जिन्हें वह कारणों से नहीं समझा सकती थी | बिल्कुल उन भावनाओं की तरह जो तर्क से परे जाती हैं जिसे व्यक्ति का मस्तिष्क समझ सकता है |
फिर भी वह कभी भी अपने दादा को चोट पहुँचाने या उनकी बातों के खिलाफ जाने के लिए खुद को तैयार नहीं कर सकती थी और यही कारण था कि वह अपनी नई ब्लाइंड डेट के साथ इस कैफे में बैठी थी | सीरियसली वो ये भी भूल गई थी कि वो कितनी बार ऐसी ब्लाइंड डेटज़ पर आई थी , ये एक तरह से कभी न खत्म होने वाली साइकिल की तरह थी | , लेकिन जाहिर तौर पर उसके दादा जी निश्चित रूप से इस तरह की मीटिंग्स प्लैन करते नहीं थक रहे थे |
वो अपनी ब्लैक पीच ब्लोसम आँखों को झपकाते हुए , लाल होठों पर प्यारी सी पर फेक स्माइल के साथ , बैठी थी | उसके कपड़ों को देख ... ओर गहरी आँखों में कोई भी डूब सकता था | जब भी पलकें झपकती ,,, उसकी आँखें तितली की तरह नज़र आती | जो किसी के भी दिल के तार छेड़ दे | उसने बहुत ही एलीगेनटली अपना पानी का गिलास उठाया ओर पानी पिया | पानी की बूंदें उसके होठों पर गुलाब की पंखुड़ियों की तरफ लग रही थीं | अनजाने में ही सही ... पर माया का हर एक मूव किसी के भी दिल में प्यार के पंछी को जगा दे | हालाँकि उसके साथ बैठे इंसान भी ... अपनी फॅमिली के प्रेशर की वजह से वहां आया था ,, पर अब माया को देख .. अपनी पलकें झपकाना ही भूल गया था | उसके सामने बैठी ये लड़की ... प्यारी सा चेहरा , गुलाबी होंठ , गोरी स्किन , ओर उसके शार्प फीचर्स , उस आदमी को ललचा रहे थे |
वो कहीं ओर देखने के लिए ... खुद को फ़ोर्स कर रहा था , पर उससे हो नहीं रहा था | तो उसने खुद की पहचान बताते हुए कहा | “आई ऍम ...” पर वो आगे कुछ बोलता , उसके सामने बैठी लड़की ने उसके सामने कुछ पेपर्स फेंक दिए | उसने उस लड़की को अपनी आँखें उचकते हुए देखा ओर ... बोला | “दिस इज ...?”
माया हस्ते हुए बोली ... “सुनने में आया है की मिस्टर जिंदल को कुछ पैसों की जरूरत है ... खुद का बिज़नस ओपन करने के लिए | पर आपकी फॅमिली .. आप साथ नहीं दे रही है |” मिस्टर जिंदल ने माया की तरफ ऐसे दखा ... मनाओ पूछ रहे हो .... की ... “तुम कहना क्या चाहती हो” | तो माया आगे बोली | “मैं तुम्हारी मद्दत कर सकती हूँ .... जो तुम चाहो वो कर सकते हो |” माया की टोन बहुत शार्प थी | उसका जवाब सुन ... कोई भी कह सकता था ... की वो मजाक नहीं कर रही है | हालाँकि वो स्माइल कर रही थी | पर उसकी आँखों को देख ... मिस्टर जिंदल को समझ में आ रहा था ... की माया को इस टॉपिक पे दुबारा बात नहीं करनी है |
तभी मिस्टर जिंदल के दिमाग में कुछ आया ओर वो बोले | “कुछ भी इस दुनिया में फ्री नहीं मिलता मिस माया | पर मुझे नहीं लगता .. की मैं आपको कुछ दे भी सकता हूँ |” माया आराम से अपनी चेयर पर अपनी लेग्स क्रॉस करके बैठी | ओर मिस्टर जिंदल को घूर कर देखते हुए बोली | “ आई डोंट हैव द हैबिट ऑफ़ मेकिंग डील्ज़ डैट आर नोट बेनिफिशल टू मी | पर तुम्हारे पास ऐसा कुछ नहीं है ... जो तुम मुझे रिटर्न में दे सको |” वो थोडा रुकी | ओर अपने चेहरे पर स्माइल लाते हुए बोली | “तुम्हे बस मेरे दादा जी को कहना होगा की , हम दोनों कम्पेटिबल नहीं है |”
मिस्टर जिंदल की आंखों में शॉक साफ़ साफ़ देखा जा सकता था | उन्हें तो भरोसा ही नहीं हो रहा था | उनकी आँखों के सामने ... माया ने उनका सबसे बड़ा सपना पूरा किया ... ओर इसके बदले में वो केवल इतना चाहती थी , कि वह उसके दादाजी से एक बात कहे की ... वो दोनों कम्पेटिबल नहीं है ? आखिर ये क्या गेम खेल रही थी ?” ये मिस्टर जिंदल को समझ नहीं आ रहा था | मिस्टर जिंदल की आँखों में ... डाउट देख ... माया आगे बोली | “यू कैन रीड द कॉन्ट्रैक्ट , मैं अपनी बात से नहीं मुकरुंगी |”
मिस्टर जिंदल ने वो डाक्यूमेंट्स उठाये | ओर पढने लगे | पर अच्चानक से किसी ने माया के चेहरे पर ... जूस का गिलास फैंक दिया | मिस्टर जिंदल ने देखा ... तो एक लड़की ने उसकी चेयर की पीछे किया | ओर माया से गुस्से इमं बोली | “यू शमेलेस लिटिल विच , तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे बॉय फ्रेंड को मुझे छिनने की ? वो भी अपने इतने बदसूरत चेहरे के साथ ?” वो औरत किसी पागल से कम नहीं लग रही थी | वो आगे बोली | “सिर्फ क्यूंकि तुम अमीर हो ... पर इसका मतलब ये नहीं है की तुम किसी से उसका बॉय फ्रेंड छीन लो |” मिस्टर जिंदल तो बहुत घबरा ये थे | पर जब उसने माया की तरफ देखा ... तो वो बड़े आराम से वहां बैठी ही थी | माया ने बड़े आराम से वहां रखा नैपकिन उठाया ओर अपना मुह साफ़ किया ... जिस पर उस औरत ने जूस गिरा दिया था | माया ने दोनों की टफ देखा ... मनो उसने कोई अजूबा ही देख लिया हो | पर माया के देखने के तरीके ने मिस्टर जिंदल को बेचैन कर दिया था | उसने उस पागल औरत को माया से दूर करते हुए उससे कहा | “पलक .. ये क्या कर रही हो ? तमाशा करना बंद करो |” तो वो औरत मिस्टर जिंदल पर चिलाते हुए बोली | “क्या ? मैं तमाशा कर रही हूँ ? हम दोनों इतने सैलून से साथ में है .. पर उसके बावजूद तुम मुझे रोक रहे हो ? क्या हक़ है इस चुड़ेल का ... की मेरे बॉय फ्रेंड को मुझसे दूर करे ? सिर्फ इसलिए ... क्यूंकि इसके पास पैसे हैं ? ओर पॉवर है ? क्या ज़िन्दगी में ... सिर्फ पैसे जरूरी हैं ? क्या मेरा प्यार इतना कमज़ोर है ?” ये कहते हुए ... रिया रो रही थी | जिस तरह उसने पूरी बात कही थी ... सबको उस पर दया आ रही थी |
माया आराम से अपनी चेयर से उठी ... उसके लिप्स पर स्माइल थी ... पर आँखों को देख ... कोई भी कांप जाये | वो अपनी काल्म पर खतरनाक आवाज़ में बोली | “देखिये आप जो भी है ... जो सवाल आपने मुझसे पुछा ... उसका जवाब मैं आपको देती हूँ | प्यार लोगों को कमज़ोर कर देती है | लोगों को कोई प्यार नहीं होता .... किसी को निचा दिखने के लिए ... वो प्यार वर्ड यूज़ करते हैं | किसी को हमेशा अपने पास रखने के लिए | एक जेल की तरह |” माया ने आपना हाथ उठाया ... रिया को लगा की माया उसे मरने के लिए आपना हाथ उठा रही है | वो जल्दी से मिस्टर जिंदल के पिच्छे छिप गई | पर माया ने मिस्टर जिंदल से वो पेपर्स लिए ... ओर आगे बोली | “नाव , लेट मी प्रूव टू यू ... की पॉवर ओर पैसा की अक्य कर सकता है | ट्रस्ट मी , ये तुम्हारे सो कॉल्ड प्यार से ... बहुत बेहतर है |”